चिंता “anxiety”, घबराहट, असुरक्षा की भावनाऔर मानसिक स्वास्थ्य पर असर Dr.Rajneesh Jain

19-07-24
Dr Rajneesh Jain
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चिंता (अंग्रेजी में “anxiety”) एक भावनात्मक स्थिति है जो अधिक चिंता, घबराहट, और असुरक्षा की भावना के साथ आती है। यह अक्सर जीवन की तनावपूर्ण स्थितियों, चुनौतियों, या अज्ञातता के साथ जुड़ी होती है। चिंता के कारण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, इसलिए इसे सही तरीके से प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है।
चिंता के लक्षण क्या होते हैं?
चिंता के लक्षण व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में दिखाई देते हैं। यह निम्नलिखित हो सकते हैं:
घबराहट और अशांति: व्यक्ति अधिक चिंतित और अस्थिर महसूस कर सकता है।
अचेतन चिंताएं: अचेतन मन में चिंताएं चलती रहती हैं, जो उन्हें असुरक्षित महसूस कराती हैं।
नींद की समस्याएं: चिंता के कारण नींद की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि अच्छी नींद नहीं आना या नींद नहीं आना।
शारीरिक लक्षण: चिंता के कारण शारीरिक लक्षण जैसे कि दिल की धडकन तेज होना, पसीना आना, गर्मी महसूस करना, या तनावपूर्ण होना।
यदि आपको चिंता के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क करना चाहिए।
चिंता से निपटने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
1.ध्यान और मेडिटेशन: योग और मेडिटेशन के माध्यम से मानसिक शांति पाने का प्रयास करें।
2. व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से तनाव कम होता है।
3. सही आहार: स्वस्थ आहार लें, जैसे कि फल, सब्जियाँ, अखरोट, और अण्डे।
4.समय प्रबंधन: काम के साथ-साथ अपने समय को भी सही तरीके से प्रबंधें।
5. सोने की अच्छी आदतें: नियमित और पर्याप्त नींद लें।
6. सोशल सपोर्ट: अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।
यदि आपकी चिंता बढ़ रही है और आप इसे स्वयं नहीं संभाल पा रहे हैं, तो एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क करें।
बिल्कुल! चिंता एक सामान्य भावनात्मक स्थिति है जिसमें अत्यधिक चिंता, घबराहट और असुरक्षा की भावना होती है। यह अक्सर तनावपूर्ण स्थितियों, चुनौतियों या अनिश्चितता के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं चिंता के बारे में:

1.चिंता विकारों के प्रकार:
   - सामान्य चिंता विकार (GAD): जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में लगातार और अत्यधिक चिंता।
   - पैनिक विकार: अचानक और तीव्र पैनिक हमले जिसमें शारीरिक लक्षण साथ होते हैं।
   - सामाजिक चिंता विकार (सोशल फोबिया): सामाजिक स्थितियों से डर और दूसरों द्वारा निर्धारित किया जाने का भय।
   - विशेष भय विकार: विशिष्ट वस्त्रों या स्थितियों (जैसे कि ऊंचाई, मकड़ी, उड़ान) का अत्यधिक भय।

2.सामान्य लक्षण:
   - बेचैनी
   - चिढ़
   - ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
   - नींद की बाधा
   - मांसपेशियों की तनाव
   - दिल की धड़कन या दिल की धड़कन

3. कारण और उत्तेजक:
   - आनुवंशिक प्रवृत्ति
   - मस्तिष्क रसायन असंतुलन
   - आघातमय अनुभव
   - दीर्घकालिक तनाव
   - चिकित्सा स्थितियाँ (जैसे कि थायराइड विकार)

4. उपचार विकल्प:
   -परामर्श (थेरेपी): मानसिक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) मदद करती है नकारात्मक विचार पैटर्न की पहचान और बदलाव करने में।
   -दवाएँ: डिप्रेशन या चिंता की दवाएँ निर्धारित की जा सकती हैं।
   - जीवनशैली में परिवर्तन: नियमित व्यायाम, विश्राम तकनीकें और तनाव प्रबंधन।
   - आत्म-सहायता उपाय: मानसिकता, गहरी सांस लेना और प्रगतिशील मांसपेशियों की छोड़ने की तकनीकें।

याद रखें कि अगर चिंता आपके दैनिक जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है, तो पेशेवर मदद लेना आवश्यक है। व्यक्तिगत मार्गदर्शन और समर्थन के लिए मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें। 

सी-बी-ती (Cognitive-Behavioral Therapy) एक प्रमुख मानसिक व्यवहार थेरेपी है जो चिंता, डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में प्राथमिकता रखती है। यह तकनीक निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित है:

1. सोच और व्यवहार का संबंध:
   - यह मानता है कि हमारे विचार हमारे भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
   - यदि हम अपने विचारों को बदल सकते हैं, तो हमारा व्यवहार भी बदल सकता है।

2. सी-बी-ती के मुख्य तत्व:
   - सीबीटी के तत्व:
     - सीबीटी के तत्व के तहत, व्यक्ति अपने नकारात्मक विचारों को पहचानता है और उन्हें सकारात्मक विचारों में बदलने के लिए काम करता है।
   - व्यवहार के तत्व:
     - यह व्यक्ति के व्यवहार को सकारात्मक दिशा में बदलने के लिए काम करता है।
     - यह व्यक्ति को स्वास्थ्यपूर्ण व्यवहार की ओर प्रोत्साहित करता है।

3.अनुशासन और अभ्यास:
   - सी-बी-ती के तत्वों को अभ्यास करने से व्यक्ति अपने विचारों और व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन कर सकता है।

यह तकनीक अक्सर चिंता, डिप्रेशन, फोबिया और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में प्रयुक्त होती है। यदि आपको चिंता से प्रभावित होने की समस्या है, तो एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेना उचित होगा। 
सी-बी-ती (Cognitive-Behavioral Therapy) एक मानसिक व्यवहार थेरेपी है जो व्यक्तिगत समस्याओं के उपचार में प्रयुक्त होती है। यह तकनीक विचारों और व्यवहार के संबंध को समझने और उन्हें सकारात्मक दिशा में बदलने के लिए काम करती है। यहां इसकी प्रमुख प्रक्रिया है:

1.सीबीटी के तत्व:
   विचारों की पहचान: व्यक्ति अपने नकारात्मक विचारों को पहचानता है।
   सकारात्मक विचारों में बदलाव: व्यक्ति अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलने के लिए काम करता है।

2. व्यवहार के तत्व:
   सकारात्मक व्यवहार की प्रोत्साहना: यह व्यक्ति को स्वास्थ्यपूर्ण व्यवहार की ओर प्रोत्साहित करता है।
   व्यवहार में परिवर्तन: व्यक्ति अपने व्यवहार को सकारात्मक दिशा में बदलने के लिए काम करता है।

सी-बी-ती अक्सर चिंता, डिप्रेशन, फोबिया और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में प्रयुक्त होती है। यदि आपको चिंता से प्रभावित होने की समस्या है, तो एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेना उचित होगा। 


चिंता की निदान (Diagnosis of Anxiety)

चिंता की निदान के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा विशेषज्ञ जांच की जाती है। यह निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:

1.मानसिक स्वास्थ्य का इतिहास (Psychiatric History): चिंता के लक्षणों के बारे में व्यक्तिगत और परिवारिक इतिहास का पता लगाने के लिए पूछा जाता है।

2. मानसिक स्वास्थ्यीय मूल्यांकन (Psychological Assessment): मानसिक स्वास्थ्यीय मूल्यांकन जैसे परीक्षण और प्रश्नोत्तरी के माध्यम से चिंता के लक्षणों की गहराई को समझने का प्रयास किया जाता है।

3.शारीरिक जांच (Physical Examination): शारीरिक समस्याओं को बाहरी रूप से निकालने के लिए शारीरिक जांच की जाती है।

4. अन्य जांचें (Other Investigations): आवश्यकतानुसार और अन्य जांचें जैसे कि रक्त परीक्षण, थायराइड जांच, आदि की जाती है।

यदि आपको चिंता से प्रभावित होने की समस्या है, तो एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेना उचित होगा।

चिंता की शारीरिक जांच और रक्त परीक्षण

चिंता की निदान के लिए निम्नलिखित तकनीकें प्रयुक्त की जा सकती हैं:

1.स्ट्रेस टेस्टिंग (Stress Testing): इसमें व्यक्ति को तनाव में लाने के लिए कसरत या दवाई का उपयोग किया जाता है, जिससे हृदय की तेज धड़कन होती है। यह व्यक्ति की जांच करने में मदद करता है कि क्या उन्हें अपर्याप्त रक्त प्रवाह के संकेत हो रहे हैं, जैसे कि निम्न रक्तचाप, सांस फूलना, और सीने में दर्द .

2शारीरिक परीक्षण (Physical Examination): शारीरिक समस्याओं को बाहरी रूप से निकालने के लिए शारीरिक जांच की जाती है।

3.रक्त परीक्षण (Blood Test): रक्त परीक्षण से व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
   रक्त परीक्षण (Blood Test) के लिए विभिन्न प्रकार की परीक्षाएँ की जा सकती हैं, जो व्यक्ति के रक्त में विभिन्न पैरामीटर्स की मात्रा को मापती हैं। यह निम्नलिखित हो सकती हैं:

1. पूर्ण रक्त गणना (Complete Blood Count, CBC): यह रक्त में रक्तकणिका, लाल रक्तकणिका, और प्लेटलेट्स की मात्रा को मापता है।

2.रक्त शर्करा (Blood Glucose) टेस्ट: यह डायबिटीज की जांच के लिए किया जाता है।

3. रक्त विश्लेषण (Blood Chemistry) टेस्ट: यह विभिन्न रक्त पैरामीटर्स की जांच करता है, जैसे कि कोलेस्ट्रॉल, ट्रिग्लिसराइड्स, क्रिएटिनिन, और यूरिक एसिड।

4.रक्त ग्रुप और रेहुस टेस्ट: यह व्यक्ति के रक्त के ग्रुप और रेहुस को मापता है।

यदि आपको चिंता से प्रभावित होने की समस्या है, तो एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेना उचित होगा। 

चिंता को ठीक करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके हैं:

1.मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श: यदि आपको चिंता से प्रभावित होने की समस्या है, तो एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेना उचित होगा। वे आपकी स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और उपयुक्त उपाय सुझाएंगे।

2. दवाएँ: चिंता के उपचार के लिए दवाएँ उपलब्ध हैं। यह डिप्रेशन या चिंता के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।

3. जीवनशैली में परिवर्तन: नियमित व्यायाम, योग, ध्यान, सही आहार, और अच्छी नींद चिंता को कम करने में मदद कर सकते हैं।

4.स्वास्थ्यी जीवनशैली: तंबाकू और अल्कोहल की अधिक सेवन से बचें।

यदि आपको चिंता से प्रभावित होने की समस्या है, तो आपको उपयुक्त उपाय के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेना चाहिए। 
चिंता विकार की आयु सीमा और लिंग के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:

आयु सीमा: चिंता विकार किसी भी आयुवर्ग को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह अधिकतर युवाओं और वयस्कों में देखा जाता है। युवाओं के बीच इसकी प्राधिकता होती है।
लिंग: चिंता विकार पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकता है। यह लिंग के आधार पर नहीं होता है।
यदि आपको चिंता से प्रभावित होने की समस्या है, तो आपको उपयुक्त उपाय के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लेना चाहिए। 

होम्योपैथी

व्यक्ति के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने पर बल देती है। यह दवा की एक ऐसी प्रणाली है जो शरीर की स्वयं को ठीक कर लेने की क्षमता का सम्मान करती है और इसमें बीमारी के लक्षणों को शरीर द्वारा फिर से स्वस्थ होने के लिए की गई प्रतिक्रियाएं समझा जाता है। होम्योपैथी के उपयोग के समर्थन में बहुत कम वैज्ञानिक प्रमाण हैं, लेकिन कुछ लोगों के बीच यह वैकल्पिक या पूरक चिकित्सा के रूप में लोकप्रिय है। 
चिंता के लिए होम्योपैथी में कुछ प्रमुख दवाएँ और उनके फायदे निम्नलिखित हैं:
1.Aconitum Napellus (Aconite): यदि चिंता अचानक और तीव्र हो, तो Aconite उपयोगी हो सकता है।
2.Argentum Nitricum (Argentum Nitricum): यदि चिंता खाने के बाद बढ़ जाती है, तो Argentum Nitricum दिलासा देने में मदद कर सकता है।
3. Gelsemium Sempervirens (Gelsemium): यदि चिंता के कारण थकान और कमजोरी हो, तो Gelsemium उपयोगी हो सकता है।
4.Arsenicum Album (Arsenicum): Useful for anxiety related to health concerns, restlessness, and fear of death.
5.Lycopodium Clavatum (Lycopodium): Helps with anxiety due to low self-confidence, digestive issues, and fear of public speaking.
6.Natrum Muriaticum (Natrum Mur): Beneficial for anxiety related to grief, disappointment, and suppressed emotions.
7.Pulsatilla Nigricans (Pulsatilla): Suitable for anxiety associated with clinginess, changeable moods, and weepiness.

याद रखें कि होम्योपैथी का उपयोग केवल विशेषज्ञ के परामर्श के बाद किया जाना चाहिए। आपके लिए सबसे उपयुक्त दवा के लिए एक पेशेवर होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें। 

                            भारत में चिंता के राष्ट्रीय आंकड़े निम्नलिखित हैं:

1. चिंता की व्यापकता: एक अध्ययन के अनुसार, भारत में हर सातवां व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की मानसिक विकार से प्रभावित होता है।

2. डिप्रेशन और चिंता: भारत में डिप्रेशन और चिंता के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक हाल के अध्ययन में दर्ज किया गया कि 74% भारतीय लोगों को तनाव होता है, जबकि 88% किसी न किसी प्रकार की चिंता विकार से प्रभावित होते हैं। इसमें बढ़ी हुई दिल की धड़कन, अत्यधिक श्वास लेना, लगातार थकान और ध्यान में कठिनाइयों की तरह कुछ लक्षण शामिल हो सकते हैं ¹³.

3. पैंडेमिक के प्रभाव: COVID-19 महामारी के चलते भारत में लॉकडाउन के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। लंबे समय तक बाध्यकारी अलगाव में रहने से तनाव और चिंता बढ़ी है, जो डिप्रेशन और चिंता के प्रति प्रेरित कर सकते हैं। व्यावसायिक तनाव भी भारत में तेजी से बढ़ रहा है। एक सर्वेक्षण में दर्ज किया गया कि करीब 90% भारतीय कर्मचारियों को जानकारी अधिकता और विचित्र जानकारी के कारण तनाव होता है।

@Dr.Rajneesh Jain

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