एलर्जी पर काबू पाना: लक्षण, उपचार और होम्योपैथिक समाधान-डॉ. रजनीश जैन

19-07-24
Dr Rajneesh Jain
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FOOD ALLERGY
DUST ALLERGY
धूल एलर्जी
यह चित्र एलर्जी के विषय पर जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकता है। इसमें विभिन्न प्रकार के एलर्जन जैसे कि पराग, धूल, कुछ खाद्य पदार्थ और अन्य प्राकृतिक तत्व शामिल  हैं जो एलर्जी का कारण बनते हैं। इससे आपको को एलर्जी के विभिन्न स्रोतों और उनसे बचाव के तरीकों की बेहतर समझ हो सकती है।

एलर्जन /एलर्जी  क्या होती हें ? 

एलर्जी एक प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया होती है जो कुछ पदार्थों के प्रति अतिसंवेदनशील होती है।एलर्जी शरीर की उस पदार्थ या उत्पाद के प्रति प्रतिक्रिया है जिसे वह एक हानिकारक “आक्रमणकारी” के रूप में देखता है। यह आमतौर पर तब होती है जब शरीर किसी विशेष भोजन, कपड़े, ड्रग्स, या अन्य पदार्थों के खिलाफ अपना रिएक्शन देता है। एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थों को एलर्जन कहा जाता है

एलर्जी होती क्यो हें ?

एलर्जी शरीर की उस पदार्थ या उत्पाद के प्रति प्रतिक्रिया है जिसे वह एक हानिकारक “आक्रमणकारी” के रूप में देखता है। यह तब होती है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी विशेष भोजन, कपड़े, ड्रग्स, या अन्य पदार्थों के खिलाफ अपना रिएक्शन देती है। एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थों को एलर्जन कहा जाता है, जो शरीर से बाहर की वस्तुओं से बनते हैं। एलर्जी बहुत आम होती हैं, विशेष रूप से बच्चों में। कुछ बच्चों में उनके बड़े होने के साथ-साथ उनकी एलर्जी भी गायब हो जाती हैं, लेकिन कुछ बच्चों में यह लंबे समय तक रह सकती है। वयस्कों में उन चीजों से भी एलर्जी होने लग सकती है जिनसे उन्हें पहले एलर्जी नहीं थी।

एलर्जी के कारणों में धूल, धुआं, मिट्टी, पराग कण, पालतू या अन्य जानवरों के संपर्क में आने से, सौंदर्य प्रसाधनों से, कीड़े के काटने से, खाद्य पदार्थों से और कुछ दवाओं के उपयोग से एलर्जी हो सकती है। एलर्जी अनुवांशिक भी हो सकती है, लेकिन यह व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं जाती।

एलर्जी का असर शरीर पर कभी-कभी काफी तेजी से होता है, तो कभी काफी धीमी गति से होता है। यह शरीर की संवेदनशीलता पर निर्भर करता है। कम संवेदनशील व्यक्ति पर कई दिनों तक एक ही खाद्य पदार्थ के सेवन के उपरांत एलर्जी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं, तो अत्यधिक संवेदनशील व्यक्ति पर इसका प्रभाव एक या दो घंटे में ही स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है।3 इसलिए, एलर्जी के लक्षणों का समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण है।

एलर्जी प्रकार

एलर्जी कई प्रकार की होती हैं, जैसे कि खाद्य एलर्जी, स्किन एलर्जी, धूल एलर्जी  के कुछ सामान्य प्रकार 

  • ड्रग एलर्जी (दवाओं से होने वाली एलर्जी): किसी दवा से प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा असामान्य प्रतिक्रिया।
  • खाद्य पदार्थों से एलर्जी: विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करने के बाद प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा अप्रिय या खतरनाक रिएक्शन।
  • कांटेक्ट डर्मेटाइटिस: किसी पदार्थ को छूने या उसके संपर्क में आने से त्वचा में लाल चकत्ते आदि बनना।
  • लेटेक्स एलर्जी: प्राकृतिक रबड़ लेटेक्स में पाई जाने वाली प्रोटीन से एलर्जिक रिएक्शन।
  • एलर्जिक अस्थमा: उसी पदार्थ से शुरू होने वाला अस्थमा, जो पदार्थ एलर्जिक रिएक्शन को ट्रिगर करता है।
  • मौसमी एलर्जी: आंखों में पानी, खुजली, छीकें और इनसे जुड़ी अन्य चीजें पैदा करने वाली एलर्जी प्रतिक्रिया।
  • जानवरों से एलर्जी: जानवरों की लार, मूत्र और त्वचा की कोशिकाओं से प्रतिरक्षा प्रणाली में होने वाला असामान्य रिएक्शन।
  • ऐनाफिलेक्सिस: एक गंभीर और संभावित रूप से मृत्यु तक का खतरा उत्पन्न करने वाला एलर्जिक रिएक्शन।
  • फफूंदी से एलर्जी: फफूंदी के बीजाणुओं के कारण होने वाली असामान्य एलर्जिक प्रतिक्रिया।

एलर्जी के लक्षण

एलर्जी के लक्षण और उपचार व्यक्ति की एलर्जी के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करते हैं। एलर्जी का निदान और उपचार एक योग्य चिकित्सक द्वारा किया जाना चाहिए।  कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं जो एलर्जी के दौरान देखे जा सकते हैं:

  • छींक आना: एलर्जी का सबसे आम लक्षण, खासकर मौसमी एलर्जी में।
  • नाक बहना या बंद होना: नाक के मार्ग में सूजन और जलन के कारण होता है।
  • खुजली या पानी आँखें: एलर्जन के संपर्क में आने से आंखों में जलन और पानी आना।
  • त्वचा पर चकत्ते या पित्ती: त्वचा पर लाल चकत्ते या उभार जो खुजली कर सकते हैं।
  • चेहरे, होंठ या जीभ की सूजन: खासकर खाद्य एलर्जी में देखा जाता है।
  • साँस लेने में कठिनाई या घरघराहट: श्वसन प्रणाली पर एलर्जी का प्रभाव पड़ने से होता है।
  • एनाफिलेक्सिस: यह एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया है जो तत्काल चिकित्सा आवश्यकता होती है।

यदि आपको या किसी अन्य व्यक्ति को एलर्जी के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। एलर्जी के लक्षणों का समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण है। एलर्जी की रोकथाम के लिए एलर्जन से बचाव, सही आहार और जीवनशैली में बदलाव, और उपयुक्त उपचार शामिल हैं। भारत में एलर्जी के राष्ट्रीय आंकड़े के अनुसार, लगभग 18% लोग 19 वर्ष से कम उम्र में एलर्जी से पीड़ित हैं। होम्योपैथी में एलर्जी के उपचार की काफी संभावनाएं हैं। यह उपचार न केवल लक्षणों को दूर करता है, बल्कि एलर्जी के पुनरावृत्ति को रोकने में भी मदद करता है। एलर्जी के लक्षणों में छींक आना, नाक बहना, त्वचा पर चकत्ते और रैशेज आदि शामिल हैं। एलर्जी के प्रति जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण है और इसके लिए लोगों को एलर्जी के कारणों और बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित करना चाहिए।

एलर्जी से बचाव के उपाय 

  1. एलर्जन से बचाव: जिन पदार्थों से आपको एलर्जी होती है, उनसे दूर रहें।
  2. स्वच्छता: घर और कार्यस्थल को साफ रखें, धूल और मोल्ड से मुक्त रखें।
  3. एयर फिल्टर: एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें जो एलर्जन को हटा सकते हैं।
  4. आहार: संतुलित आहार लें और उन खाद्य पदार्थों से बचें जिनसे आपको एलर्जी हो।
  5. धूम्रपान से बचें: धूम्रपान और धूम्रपान के धुएं से दूर रहें।
  6. पालतू जानवरों का प्रबंधन: यदि आपको पालतू जानवरों से एलर्जी है, तो उन्हें अपने बेडरूम से दूर रखें।
  7. घरेलू उपचार: नमक का पानी, पेपरमिंट, भाप, सेब का सिरका, बिच्छू बूटी, लहसुन, नींबू, हल्दी, शहद, और गर्म पानी जैसे घरेलू उपचार आजमा सकते हैं।

इन उपायों के अलावा, एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना और उपचार का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। एलर्जी के लिए विशेष उपचार और दवाइयां भी उपलब्ध हैं जो एलर्जी के लक्षणों को नियंत्रित कर सकती हैं। यदि आपको एलर्जी के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।

होमिओपैथी में एलर्जी के इलाज के लिए विभिन्न दवाएं और उपचार 

  1. एपिस मेलिफिका (Apis mellifica): यह दवा खासतौर पर उन लोगों के लिए है जिन्हें एलर्जी के कारण त्वचा पर खुजली और जलन होती है।
  2. अर्टिका यूरेन्स (Urtica urens): यह दवा ठंड और पानी की वजह से होने वाली त्वचा की एलर्जी के लिए उपयोगी है।
  3. ग्रेफाइट्स (Graphites):यह दवा त्वचा पर होने वाली दरारों, दाद, और इम्पीटिगो जैसी समस्याओं के लिए प्रयोग की जाती है।
  4. सल्फर (Sulphur): यह दवा त्वचा की लालिमा, रूसी, और पपड़ीदार त्वचा की समस्याओं के लिए उपयोगी है।
  5. रस टॉक्सिकोडेंड्रोन (Rhus toxicodendron): यह दवा सेल्युलाइटिस, त्वचा पर होने वाली फुंसी, और खुजली के लिए प्रयोग की जाती है।

होमिओपैथी उपचार रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं और ये उपचार प्राकृतिक संसाधनों से बने होते हैं, इसलिए इनके कोई विषाक्त पदार्थ नहीं होते हैं और दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं।

एलर्जी के इलाज के लिए होमिओपैथी का उपयोग करते समय, यह महत्वपूर्ण है कि रोगी एक योग्य होमिओपैथ से परामर्श ले, जो उनके व्यक्तिगत संविधान के अनुसार उपचार निर्धारित कर सके।

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