“जोड़ों के दर्द का समाधान: होम्योपैथी और प्राकृतिक उपचार” |
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जोड़ों का दर्द एक आम समस्या है जो एक या दोनों जोड़ों को प्रभावित कर सकती है। यह दर्द तेज, कम,
जलनशील या कम-ज़्यादा हो सकता है। जोड़ों में दर्द के कई लक्षण हो सकते हैं जैसे - चोट, संक्रमण,
गठिया और अन्य बीमारियां। इनमें से सबसे सामान्य कारण है गठिया, जो जोड़ों की सूजन होती है।
गठिया के भी कई प्रकार होते हैं। जोड़ों में दर्द के निदान के लिए सावधानीपूर्वक परीक्षण की आवश्यकता
होती है जैसे - रक्त परीक्षण, एंटी-साय्क्लिक सिट्रुलिनटेड पेप्टाइड एंटीबॉडी परीक्षण, रुमेटीड फैक्टर परीक्षण,
परीक्षण के लिए जोड़ों के तरल पदार्थ का परीक्षण, बैक्टीरिया कल्चर, क्रिस्टल विश्लेषण, प्रभावित जोड़ों के
ऊतक की बायोप्सी। जोड़ों में दर्द का उपचार प्रभावित जोड़ों, दर्द की गंभीरता और अंतर्निहित कारणों के
आधार पर अलग-अलग होता है। उपचार इसके मूलभूत कारणों को ठीक करता और लक्षणों को कम या
खत्म करता है। जोड़ों में दर्द के निम्न स्तर का इलाज केमिस्ट से मिलने वाली दवाओं से किया जा सकता है
जो दर्द और सूजन को कम कर देती हैं। इसका इलाज घर में बर्फ लगाकर, गर्म पानी से स्नान करके या
कुछ व्यायाम करके भी किया जा सकता है।अगर आपको जोड़ों का दर्द हो रहा है, तो यह जरूरी है कि आप एक
स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लें जो विशिष्ट कारण का निदान कर सके और उचित उपचार की सलाह दे सके। याद रखें,
खुद से निदान करना ठीक नहीं है क्योंकि जोड़ों का दर्द विभिन्न अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं का लक्षण हो सकता है।
भारत में जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसमें गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, और
रुमेटीइड गठिया प्रमुख हैं।
जोड़ों का दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि गठिया, चोट, उम्र संबंधी घिसावट, और ऑटोइम्यून विकार
जोड़ों के दर्द का निदान और उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है, इसलिए सही निदान के लिए चिकित्सकीय
परामर्श आवश्यक है। यदि आपको जोड़ों का दर्द हो रहा है, तो यह जरूरी है कि आप एक स्वास्थ्य पेशेवर से
परामर्श लें। याद रखें, खुद से निदान करना ठीक नहीं है क्योंकि जोड़ों का दर्द विभिन्न अंतर्निहित स्वास्थ्य
समस्याओं का लक्षण हो सकता है।
आर्थ्रोग्राम: यह जोड़ों के दर्द की जांच के लिए एक इमेजिंग परीक्षण है।आर्थ्रोग्राम एक विशेष प्रकार का इमेजिंग
परीक्षण है जिसमें जोड़ों में एक विशेष कंट्रास्ट एजेंट इंजेक्ट किया जाता है। इसके बाद एक्स-रे, फ्लोरोस्कोपी,
एमआरआई स्कैन या सीटी स्कैन के माध्यम से जोड़ों की बारीकी से जांच की जाती है1। यह परीक्षण जोड़ों के
दर्द का कारण जानने के लिए अक्सर उपयोग किया जाता है और यह उन परीक्षणों की तुलना में ज्यादा अच्छा
परिणाम देता है जो बिना कंट्रास्ट के होते हैं।
तैयारी: आपको अस्पताल का गाउन पहनना होगा और अपने शरीर पर पहने गए गहने, छेदन और अन्य धातु
के सामान हटाना होगा।
इमेजिंग परीक्षण के लिए लेटना: तकनीशियन द्वारा इमेजिंग परीक्षण करने के लिए आपको एक मेज पर लेटने
के लिए कहा जाएगा।
त्वचा की सफाई: तकनीशियन प्रभावित जोड़ के आसपास की त्वचा को एंटीसेप्टिक से साफ करेगा।
सुन्न करने के लिए इंजेक्शन: क्षेत्र को सुन्न करने के लिए आपको जोड़ में एक इंजेक्शन लगाया जाएगा।
तरल पदार्थ निकालना: एक सुई और सिरिंज का उपयोग करके, तकनीशियन आपके जोड़ में जमा हुए तरल
पदार्थ को निकाल देगा।
कंट्रास्ट डाई इंजेक्ट करना: फिर वे एक लंबी और पतली सुई का उपयोग करके आपके जोड़ में कंट्रास्ट
डाई इंजेक्ट करेंगे।
जोड़ को हिलाना: कंट्रास्ट डाई को पूरे जोड़ में फैलने में मदद करने के लिए आपको अपने जोड़ को हिलाने
के लिए कहा जा सकता है।
एक्स-रे लेना: एक बार जब डाई फैल जाएगी, तो तकनीशियन एक्स-रे लेगा।
यह प्रक्रिया आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन जोड़ों के संक्रमण या गठिया वाले लोगों या गर्भवती
महिलाओं के लिए आर्थ्रोग्राम नहीं किया जाता।
रक्त परीक्षणके माध्यम से ऑटोएंटीबॉडीज़ और इंफ्लेमेशन मार्कर्स की जांच की जाती है, जैसे कि
एंटी-साय्क्लिक सिट्रुलिनटेड पेप्टाइड एंटीबॉडी परीक्षण (Anti-cyclic citrullinated peptide),
रुमेटीड फैक्टर (आरएफ लेटेक्स) परीक्षण (Rheumatoid factor test), और जोड़ों के तरल पदार्थ का
परीक्षण। ये परीक्षण जोड़ों के दर्द के निदान में मदद करते हैं और गठिया जैसी स्थितियों की पहचान करने
में सहायक होते हैं।
रक्त परीक्षण के माध्यम से ऑटोएंटीबॉडीज़ और इंफ्लेमेशन मार्कर्स की जांच तरीके से की जाती है:
प्रारंभिक तैयारी: रोगी को आमतौर पर रक्त परीक्षण से पहले कुछ घंटों के लिए उपवास करने की सलाह दी
जाती है, खासकर अगर ग्लूकोज या कोलेस्ट्रॉल की जांच हो रही हो।
रक्त नमूना संग्रहण: एक प्रशिक्षित तकनीशियन या नर्स रोगी की बांह की नस से रक्त का नमूना लेता है।
यह प्रक्रिया आमतौर पर सुई का उपयोग करके की जाती है।
लैब विश्लेषण: रक्त का नमूना लैब में भेजा जाता है, जहां विभिन्न प्रकार के बायोमार्कर्स की जांच की जाती है।
ऑटोएंटीबॉडीज़ की जांच के लिए विशेष परीक्षण होते हैं, जैसे कि एंटी-साय्क्लिक सिट्रुलिनटेड पेप्टाइड एंटीबॉडी
परीक्षण और रुमेटीड फैक्टर परीक्षण।
परिणामों की व्याख्या: लैब द्वारा परीक्षण परिणामों की व्याख्या की जाती है और रोगी के चिकित्सक को भेजी
जाती है, जो इन परिणामों के आधार पर रोगी की स्थिति का निदान और उपचार करते हैं।
इंफ्लेमेशन मार्कर्स जैसे कि सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) की जांच भी इसी तरह से की जाती है। ये परीक्षण शरीर में
सूजन की मात्रा का पता लगाने में मदद करते हैं और ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे कि रुमेटीड गठिया की पहचान
में सहायक होते हैं।
एंटी-सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड(Anti-cyclic citrullinated peptide) परीक्षण, जिसे एंटी-सीसीपी परीक्षण भी कहा जाता है
, एक रक्त परीक्षण है जो रुमेटीइड गठिया (RA) के निदान में मदद करता है। यह परीक्षण उन एंटीबॉडीज के स्तर को
मापता है जिन्हें एंटी-साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड एंटीबॉडी (ACPA) कहा जाता है। ये एंटीबॉडीज लगभग
60% से 70% रुमेटीइड गठिया से पीड़ित लोगों में पाई जाती हैं और यह एक गलत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का उदाहरण
हैं जो शरीर के चक्रीय सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड को लक्षित करती हैं।
एंटी-सीसीपी परीक्षण के परिणाम आमतौर पर ईयू/एमएल (प्रति मिलीलीटर एंजाइम इकाइयां) में मापे जाते हैं।
20 से कम: नकारात्मक (सामान्य)
20-39: कमजोर सकारात्मक
40-59: मध्यम रूप से सकारात्मक
60 से अधिक: अत्यधिक सकारात्मक
एक सकारात्मक परिणाम रुमेटीइड गठिया के विकास के बढ़ते जोखिम का संकेत दे सकता है,
और एक उच्च सकारात्मक परिणाम बीमारी के अधिक गंभीर रूप के विकसित होने का संकेत दे सकता है ।
जोड़ों के दर्द के लिए स्थायी इलाज की संभावना रोगी की विशिष्ट स्थिति और उसके शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर
करती है। जोड़ों के दर्द के लिए होम्योपैथी में कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं, जो दर्द और सूजन को कम करने के
साथ-साथ अंतर्निहित कारणों का भी इलाज कर सकती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख होम्योपैथिक दवाएं दी गई हैं जो
जोड़ों के दर्द में आमतौर पर प्रयोग की जाती हैं।
अर्निका मोंटाना: यह दवा चोट और जख्म के उपचार के लिए उपयुक्त है और जोड़ों में दर्द और सूजन को
कम करने में मदद करती है।
रस टॉक्सोडेन्ड्रॉन: यह दवा गठिया और जोड़ों की सूजन के लिए प्रयोग की जाती है।
ब्रायोनिया एल्बा: यह दवा जोड़ों में तीव्र दर्द और सूजन के लिए प्रयोग की जाती है।
कैल्केरिया फॉस्फोरिका: यह दवा हड्डियों और जोड़ों की कमजोरी के लिए प्रयोग की जाती है।
लेडम पल्स्ट्रे: यह दवा ठंडे जोड़ों के दर्द के लिए प्रयोग की जाती है।
रूटा ग्रेवोलेंस: यह दवा टेंडन की चोट और जोड़ों के दर्द के लिए प्रयोग की जाती है।
होम्योपैथिक उपचार में रोगी की पूरी शारीरिक और मानसिक स्थिति का विश्लेषण करके
उपचार किया जाता है। इसलिए, उपचार के लिए सही दवा का चयन करने के लिए
एक होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।